शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

प्रधानमंत्री-3

प्रधानमंत्री  राव ,बिहार विधान सभा चुनाव और मैं 
बात सन 1995 की है ,देश के कई राज्यों में विधान सभा के चुनाव हो रहे थे ,चारों ओर गहमा-गहमी थी। उन दिनों मैं महाराष्ट्र के औरंगाबाद से प्रकाशित तरुण भारत समूह के हिन्दी दैनिक 'देवगिरि समाचार' में कार्यरत था। तरुण भारत का मुख्यालय नागपुर में था । जिसके प्रबंधन मण्डल में स्व प्रमोद महाजन ,गोपीनाथ मुंडे ,आबा साहब देशपांडे ,संघ परिवार के सभी वरिष्ठ जन के अलावा महाराष्ट्र प्रदेश के बड़े-बड़े उद्योगपति भी हुआ करते थे । इस समूह की एक बड़ी विशेषता यह भी थी कि अखबार से जुड़े लोगों को समाचार संकलन का पूरा मौका दिया जाता था। जिसके लिए बकायदा सभी संस्करणों के संपादकों एवं ब्यूरो प्रमुखों की एक बैठक नागपुर या मुंबई में आयोजित की जाती,जिसमे सभी को समाचारों के संकलन की ज़िम्मेदारी सौंपी जाती। चुनाव सर पर था ,नागपुर में बैठक हुई । उसमें मुझे ओड़िसा ,बिहार एवं उत्तर प्रदेश के चुनाव का दायित्व दिया गया,इसी तरह अन्य  सभी वरिष्ठ संपादकों व ब्यूरो प्रमुखों को भी दायित्व दिये गए।
इस दौरान पंद्रह दिन में तीनों राज्यों को कवर करना था। औरंगाबाद से चल कर मैं सीधे भुवनेश्वर पहुंचा । तीन दिन रुक कर बीजू पटनायक, नवीन पटनायक ,सहित तमाम प्रत्याशियों से साक्षत्कार लिए एवं चुनावी रिपोर्टिग की। वहाँ से सात मार्च की दोपहर  चल कर आठ मार्च की सुबह पटना पहुंचा । अभी स्टेशन से निकाल कर होटल के लिए चला  ही  था तो प्रचार के तहत सुनाई दिया कि शाम को गांधी मैदान में प्रधानमंत्री (तब वह थे) पी॰ वी ॰ नरसिंह राव की जनसभा है । खैर होटल में फ्रेश होने के बाद चुनावी माहौल जानने के लिए पटना की सड़कों पर निकाल पड़ा । एक दो पत्रकार मित्रों से भी मुलाक़ात हुई । होते -होते तीन बज गए। पाँच बजे से पटना के गांधी मैदान में प्रधान मंत्री की जन सभा । इसी उधेड़बुन में कि गांधी मैदान  जाऊँ  या दानापुर हवाई अड्डा । सोचते-सोचते कदम कुआं के एक रेस्तरा में चाय पीने बैठ गया । फिर वही चाय कि चुस्कियो  के साथ फिर दिमाग मैं उधेड़बुन । चाय खत्म होते-होते यह निर्णय लिया कि यहाँ से सीधे हवाई अड्डा चला जाए। क्यों कि गांधी मैदान के सभा की खबर समाचार एजेंसियां तो देंगी ही, यदि प्रधानमंत्री जी से चलते-चलते दो मिनिट बात भी हो गई तो ,वह खबर कुछ अलग से होगी ।
हवाई अड्डा पहुंचा , सुरक्षा के कड़े प्रबंध । प्रधान मंत्री के विमान आने में थोड़ा विलंब , अभी हवाई अड्डे पर मेरे एक संपादक मित्र दिख गए। फिर क्या बात आसानी से बन गई ,अधिक माथा -पच्ची नहीं करनी पड़ी । प्रधान मंत्री आए और एक विशेष कक्ष में चुनिन्दा पत्रकारो के साथ लगभग बातचीत की ,इस दौरान सवालों -जवाबों का दौर भी चला । बाद में वे चुनावी सभा को संबोधित करने गांधी मैदान चले और में वापस होटल लौट आया । अब दिक्कत समाचार भेजने की । हर जगह फैक्स या टेलेक्स तो होते नहीं थे। एक मात्र सहारा था पोस्ट आफिस । खोजते-खोजते पोस्ट आफिस पहुंचा तो वहाँ भी लंबी लाईन । हो भी क्यों न ,देश-विदेश के पत्रकारों का जमघट ,हर एक को समाचार अपनी-अपनी  डेट लाइन से भेजने के व्याकुलता । उस समय पोस्ट आफिस सूचना विभाग के माध्यम से मान्यता प्राप्त पत्रकारों एक कार्ड जारी करता थे ,जिससे वह अपनी खबर टेलेक्स या टेलीग्राम के माध्यम से कम दर पर भेजता था,जिसका भुगतान कंपनी के द्वारा हो जाता था। वहाँ से अगला पड़ाव उत्तर प्रदेश की ओर ।     
डॉ प्रदीप श्रीवास्तव 

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