प्रदीप श्रीवास्तव
१९८१ ,वाराणसी (उ .प्र)
(यह कविता में ने जनुवरी १९८१ की ठण्ड भरी एक सुबह काशी (वाराणसी)
के मन मंदिर घाट पर बैठ कर लिखी थी .उन दिनों में स्नातक
का छात्र . जिसे सरिता मासिक पत्रिका ने प्रकाशित भी किया था .
उसी समय उपरोक्त फोटो भी में ने एक साधारण कैमरे से खिची थी। तब
की काशी और आज की काशी में काफी परिवर्तन हो गया है। )
की काशी और आज की काशी में काफी परिवर्तन हो गया है। )
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