शनिवार, 26 सितंबर 2009

एक खबर,जो खबर न बनी

       
 


   25 सितम्बर 09 कों  नांदेड के लोहा तहसील में जनसभा कों संबोधित   करने जाते   हुवे महाराष्ट्र के सी एम अशोक राव चौहान 

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  जब महाराष्ट्र के सी. एम. पर चप्पल फेंकी गई 
मेरिका के पूर्व  राष्ट्रपति जार्ज बुश,भारत के गृह मंत्री चिदंबरम ,गुजरात के मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी पर चप्पल फेंका गया था तो यह खबर पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी खबर थी ,लकिन जब महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री अशोक राव चौहान  के ऊपर इसी तरह चप्पल फेंकने कि घटना होती है तो वह बड़ी खबर नहीं बनती, यह बात समझ में नहीं आ रही .घटना २५ सितम्बर के दुपहर कि है,जब महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री अशोक राव चौहान अपने गृह नगर नांदेड के लोहा नगर पालिका क्षेत्र में एक चुनावी जनसभा कों संबोधित करने जा रहे थे कि वहीँ से विधान सभा का चुनाव लड़ रहर प्रताप राव चिखलीकर के समर्थको ने उन पर चप्पल फेंक कर  अपना विरोध प्रकट कहतें हैं कि वहां से चिखलीकर कों राष्ट्रवादी पार्टी से टिकट न दिया जाना. लोहा विधानसभा क्षेत्र  से एन सी पी व कांग्रेस के सयुंक्त प्रत्याशी शंकर अन्ना घोंड़गे कों टिकट दिया गया है.इस मामले में  घोंड़गे व उनके समर्थको का कहना है कि अशोक राव ने ही उनका टिकट कटवाया है.घटन के विषय में बताया जाता है कि जब अशोक राव लोहा शहर में जनसभा कों सबोधित करने जा रहे थे कि उसी समय चिखलीकर अपने समर्थको के साथ तहसील कार्यालय से नामांकन कर लौट रहे थे, तभी मुख्य बाज़ार में दोनों लोगो का काफिला आमने -सामने आ गया ,इसी बीच चिखलीकर जिन्दा बाद के नारे लगते हुवे कुछ असामाजिक तत्वों ने उन पर चप्पल फेंक दिए ,जो अशोक राव कों न लगकर उनके ड्राइवर कों जा लगा .यह देख कर उनके सुरक्षा मैं लगे पुलिस कर्मियों ने तुंरत उन्हें अपने घेरे में लेते हुवे पास के एक घर में ले गए. इस बीच इस्थिति बिगड़ते देख कर पुलिस कों वहां पर लाठी भी भांजनी पड़ी.इन लाइनों के लिखने तक किसी कि गिरफ्तारी  नहीं हुई थी.इस सब के बावजूद  अशोक राव ने वहां पर अपना भासन दिया भी.  घटना के विषय में बताया जाता है कि प्रताप राव पाटिल चिखलीकर विधान सभा के लिए कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे ,कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस के बीच समझौता होने के कारण लोहा विधान सभा से राष्ट्रवादी के शंकर अन्ना घोंडगेको प्रत्याशी बनाया गया है. जिससे पाटिल  नाराज हैं,उनका कहना है कि अशोक राव  ने ही उनका पत्ता कटवाया है.बात जो भी हो कहने का मतलब यह है कि एक मुख्यमंत्री पर इस तरह से हमला हो और उसे मीडिया गंभीरता से न ले,बात कुछ समझ में नहीं आ रही है. यही घटना दिल्ली ,मुंबई,या फिर विदेश के किसी शहर में होती तो उसे कितनी पमुखत दी जाती.के लोकतंत्र में यह सब जायज है.एक मुख्यमंत्री पर इस तरह से हमला होना खबर नहीं बनती क्या? आखिर मिडिया छोटे शहरों में घटने वाली खबरों कों क्यों प्रधानता नहीं देती? जब कि आज हम आधुनिकता के इस युग में नित नए तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं.


प्रिये पाठको इसका उत्तर आप पर छोड़ता हूँ कि आप क्या सोचते हैं
 

                                            भीड़ कों तितर-बितर करती महाराष्ट्र की पुलिस
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