जलमय हुआ लखनऊ शहर
किसी फिल्म का एक गाना है 'बरखा रानी जम कर बरसो ',सच लखनऊ में मंगलवार की दोपहर से जम कर पानी बरस रहा हैं .इतना बरस रहा है कि शहर की चिकनी चुपड़ी सड़कें तरबतर हो रही हैं ,जहाँ बरसात के इस पानी से आम जन जीवन प्रभावित हो गया है ,वहीँ प्रदेश सरकार के विकास कार्यों की कलई भी खुलती जा रही है.. तीन दिन पहले तक चारों तरफ हाय हल्ला मच रहा था कि देखो देश के कितने हिस्सों में बाढ़ आई है ,एक अपना लखनऊ है कि एक-एक बूंद पानी के लिए तरास रहा है. लो साहब अब तरसने की बात छोड़ो अपने को सहेजने की बात करो भाई .
बूंदा-बाँदी तो रविवार की शाम से ही शुरू हो गई थी ,उस दिन गोधुल बेला में जमकर पानी भी बरसा, सोमवार को एक ओर सारा शहर स्वतंत्रता दिवस की 70 वर्षगांठ मना रहा था ,वहीँ इंद्र देवता भी प्रसन्न हो कर हलकी बूंदा बाँदी कर रहे थे .लोग सुहाने मौसम के बीच ,छुट्टी का दिन होने के कारण अपने लोगों के साथ पिकनिक मना रहे थे. लेकिन अचानक मंगलवार की दोपहर बाद इंद्र देवता शायद इतना खुश हुए या फिर क्रोधित की जो पानी बरसना शुरू हुआ तो लगातार तीन घंटे तक मुसलाधार बरसते रहे ,जिसके चलते सारा शहर अस्त-व्यस्त हो गया ,जो जहाँ था वहीँ थम गया .शहर के हर हिस्से में पानी का जमाव लग गया ,जब शाम को लगभग 7.30 बजे बूंदा बाँदी ख़त्म हुई तो लोग बाग अपने घरों के लिए निकल पड़े ,अरे यह क्या ? जगह- जगह दो से तीन फीट तक पानी का जमाव ,महिलाये क्या, पुरुष क्या ,सभी के दो चक्का वाहन पानी में डूबने जैसा हो गए. कुछ के वहां तो पानी में ही बंद भी हो गये ,वहीँ दूसरी तरफ जमाव के बीच चार पहिया वाहन वाले भी मस्ती करते दिखे ,हुआ यूँ कि सड़क पर खड़े पानी के बीच तेज गति से वे अपने वहां लेकर गुजरते, जिसके चलते बरसाती पानी के तेज छीटों से अगल-बगल वाले तो पूरी तरह भीग गए .इंद्रा नगर, गाँधी पुरम, आम्रपाली का क्षेत्र रहा हो या अलीगंज ,विकासनगर ,राम-राम बैक का एरिया ,सभी जगह चारों ओर पानी ही पानी ,मानो गोमती नदी लखनऊ की सड़कों पर बहने लगीं हों.विश्व प्रसिद्ध रूमी दरवाजा व बड़ा इमामबाडा के पास देखते ही बन रहा था ,दोनों तरफ सड़के पानी में डूबीं हुई थीं.
सबसे बुरा हाल तो रिंग रोड पर बसे जानकीपुरम क्षेत्र का था ,जहाँ जाने की लिए कोई भी ऐसा मार्ग नहीं था जो जल जमाव से भरा न रहा हो.लोग देर रत तक रिंगरोड पर अपने वाहनों को खड़े कर पानी खत्म होने का इंतजार करते रहे .सहारा इस्टेट , आकांक्षा परिसर ,साठ फीट रोड ,प्रभात चौराहा का दृश्य तो देखने वाला था .
कुल मिला कर पानी जमाव के पीछे सरकारी तंत्र का ही दोष दिया जायेगा . अरे भाई इतने बड़े शहर में इतनी बड़ी आबादी वाले क्षेत्र में सरकार पानी निकासी के लिए जब छह इंच व्यास का पाईप लगवायेगी, तो इसका कोप भजन तो आम जनता को ही तो बनना पड़ेगा न. यह तो हर साल का रोना है ,आप रोते रहिये , सर्कार व उसके नुमाइंनदे सोते रहेंगे, आप की बला से .सत्रह अगस्त की देर सुबह तक बरसात जारी थी . देखिये क्या होता है अगर आज दिनभर भी यही हाल रहा . साथ में एक वीडियो संलग्न है ,उसे देख कर आप मुसलाधार बारिस का अंदाज लगा सकते हैं , जिसे हिंदी मासिक 'दिव्यता' के कार्यालय परिसर ,गोयल पैलेस ,फैजाबाद रोड पर लिया गया है .
किसी फिल्म का एक गाना है 'बरखा रानी जम कर बरसो ',सच लखनऊ में मंगलवार की दोपहर से जम कर पानी बरस रहा हैं .इतना बरस रहा है कि शहर की चिकनी चुपड़ी सड़कें तरबतर हो रही हैं ,जहाँ बरसात के इस पानी से आम जन जीवन प्रभावित हो गया है ,वहीँ प्रदेश सरकार के विकास कार्यों की कलई भी खुलती जा रही है.. तीन दिन पहले तक चारों तरफ हाय हल्ला मच रहा था कि देखो देश के कितने हिस्सों में बाढ़ आई है ,एक अपना लखनऊ है कि एक-एक बूंद पानी के लिए तरास रहा है. लो साहब अब तरसने की बात छोड़ो अपने को सहेजने की बात करो भाई .
बूंदा-बाँदी तो रविवार की शाम से ही शुरू हो गई थी ,उस दिन गोधुल बेला में जमकर पानी भी बरसा, सोमवार को एक ओर सारा शहर स्वतंत्रता दिवस की 70 वर्षगांठ मना रहा था ,वहीँ इंद्र देवता भी प्रसन्न हो कर हलकी बूंदा बाँदी कर रहे थे .लोग सुहाने मौसम के बीच ,छुट्टी का दिन होने के कारण अपने लोगों के साथ पिकनिक मना रहे थे. लेकिन अचानक मंगलवार की दोपहर बाद इंद्र देवता शायद इतना खुश हुए या फिर क्रोधित की जो पानी बरसना शुरू हुआ तो लगातार तीन घंटे तक मुसलाधार बरसते रहे ,जिसके चलते सारा शहर अस्त-व्यस्त हो गया ,जो जहाँ था वहीँ थम गया .शहर के हर हिस्से में पानी का जमाव लग गया ,जब शाम को लगभग 7.30 बजे बूंदा बाँदी ख़त्म हुई तो लोग बाग अपने घरों के लिए निकल पड़े ,अरे यह क्या ? जगह- जगह दो से तीन फीट तक पानी का जमाव ,महिलाये क्या, पुरुष क्या ,सभी के दो चक्का वाहन पानी में डूबने जैसा हो गए. कुछ के वहां तो पानी में ही बंद भी हो गये ,वहीँ दूसरी तरफ जमाव के बीच चार पहिया वाहन वाले भी मस्ती करते दिखे ,हुआ यूँ कि सड़क पर खड़े पानी के बीच तेज गति से वे अपने वहां लेकर गुजरते, जिसके चलते बरसाती पानी के तेज छीटों से अगल-बगल वाले तो पूरी तरह भीग गए .इंद्रा नगर, गाँधी पुरम, आम्रपाली का क्षेत्र रहा हो या अलीगंज ,विकासनगर ,राम-राम बैक का एरिया ,सभी जगह चारों ओर पानी ही पानी ,मानो गोमती नदी लखनऊ की सड़कों पर बहने लगीं हों.विश्व प्रसिद्ध रूमी दरवाजा व बड़ा इमामबाडा के पास देखते ही बन रहा था ,दोनों तरफ सड़के पानी में डूबीं हुई थीं.
सबसे बुरा हाल तो रिंग रोड पर बसे जानकीपुरम क्षेत्र का था ,जहाँ जाने की लिए कोई भी ऐसा मार्ग नहीं था जो जल जमाव से भरा न रहा हो.लोग देर रत तक रिंगरोड पर अपने वाहनों को खड़े कर पानी खत्म होने का इंतजार करते रहे .सहारा इस्टेट , आकांक्षा परिसर ,साठ फीट रोड ,प्रभात चौराहा का दृश्य तो देखने वाला था .
कुल मिला कर पानी जमाव के पीछे सरकारी तंत्र का ही दोष दिया जायेगा . अरे भाई इतने बड़े शहर में इतनी बड़ी आबादी वाले क्षेत्र में सरकार पानी निकासी के लिए जब छह इंच व्यास का पाईप लगवायेगी, तो इसका कोप भजन तो आम जनता को ही तो बनना पड़ेगा न. यह तो हर साल का रोना है ,आप रोते रहिये , सर्कार व उसके नुमाइंनदे सोते रहेंगे, आप की बला से .सत्रह अगस्त की देर सुबह तक बरसात जारी थी . देखिये क्या होता है अगर आज दिनभर भी यही हाल रहा . साथ में एक वीडियो संलग्न है ,उसे देख कर आप मुसलाधार बारिस का अंदाज लगा सकते हैं , जिसे हिंदी मासिक 'दिव्यता' के कार्यालय परिसर ,गोयल पैलेस ,फैजाबाद रोड पर लिया गया है .
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