रविवार, 1 अक्तूबर 2023

'कबाड़ी का सिक्का' बनाम 'शालीन कटाक्ष'

किताबें-1
हिम की वादियों से प्रकाशित हिंदी के पहले अखबार 'दिव्य हिमाचल'के प्रधान संपादक अनिल सोनी जी का व्यंग्य संग्रह 'कबाड़ी का सिक्का' मेरे हाथों में है ,जिसके शीर्षक से ही आप को व्यंग्य की झलक दिख रही होगी. एक लम्बे समय तक उनके साथ काम करने का अनुभव रहा है.उनके लिखे 'आखिरी तीर' (व्यंग्य कालम)के एक-एक 'तीर' (शब्द)आज भी मेरे जेहन में कौंधते हैं. व्यंग्य लिखने की उनकी ,अपने आप में एक नई दिशा भी देती है.किलिष्ट भाषा होने के बावजूद व्यंग्य का पूरा सार समझ में आता ही है.जो व्यंग्य के माध्यम से चोट तो करता है ,साथ ही सचेत होने को भी . 'कबाड़ी का सिक्का' अभी पढ़ रहा हूँ,जिस पर चर्चा शीघ्र ही करूँगा. तब तक के लिए विराम.... (कल पढ़ें घुमक्कड़ माला वर्मा की दो पुस्तकों 'अंटार्टिका ,एक अनोखा महादेश' एवं इंग्लैंड आयरलैंड' पर संक्षिप्त चर्चा.)

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