शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

मित्रता -1

मित्रता के बदलते आयाम
कल रात मेरी एक टैग मित्राणी (दोस्त ) ने रोमानिया से एक कार्टून भेजा है ,जिसमे दो उम्र दराज लोगों को नेट सर्फिंग करते हुए दिखाया है | मजे क़ी बात यह है कि दोनों लोग ही यह सोच कर सर्फिंग कर रहे हैं कि वे नेट पर किसी युवा के साथ चैटिंग कर रहे हैं,पर दोनों लोग हैं बुजुर्ग |इस कार्टून को देखने के बाद मेर जेहन में एक बात आई कि आज बदलती टेक्नालोजी के इस दौर में हमारी मानसिकता भी कितनी बदल रही है |हम आज भी अपने को युवा देखने क़ी चाह में अपने  सारे बन्धनों को तोड़ने पर विवश हो रहे हैं क्यों? मित्रता करना कोई गलत बात नहीं है,लेकिन आज के दौर में इसी मित्रता को पैसा कमाने का जरिया भी बना लिया गया है ,कल क़ी ही बात है मुंबई में पुलिस ने एक ऐसे परिवार को धर दबोचा है जो मित्रता के नाम पर देह व्यापार के धंधे  में लिप्त  था यह परिवार लोगों को दोस्त बनाए के नाम पर देह वयापार को करता ही था वहीँ उनसे भारी मात्रा ऍन पैसा भी वसूलता था|जिसके लिये अखबारों में बाकायदा दोस्त बनिए जैसे  आकर्षक शीर्षक से विज्ञापन भी देता था,जिसके मध्यम से लोग उनके जाल में फंस जाते ||अंतर्जाल के इस मकड़ जाल पर (इटरनेट ) दोस्ती क़ी कितनी साइटें हैं,जिनकी कोई संख्या तक नहीं है,लेकिन क्या उसके मध्यम से आज हम स्वस्थ दोस्ती क़ी परिकल्पना भी  कर सकते हैं, में तो कहूँगा कि कदापि नहीं |अब आप फेसबुक क़ी बात करें या फिर ट्विटर कि ,कहीं पर मुझे स्वस्थ मित्रता क़ी झलक तक नहीं दिखाई देती है |दुनिया भर में सर्वाधिक लोकप्रिय ये दोनों साईटें जरुर लोगों को एक दूसरे से जोड़ने काम करती होंगी ,लेकिन मित्रता का काम तो नहीं करती हैं, सूचनाओं का आदान- प्रदान जरुर कराती हैं | इसके अलावा बहुत सी साइटें तो  ऐसी हैं जिनका  हम सार्वजानिक रूप से उल्लेख भी नहीं कर सकते हैं| क्यों कि उन पर परोसी जाने वाली सामग्रियां ऐसी होती हैं,जिन्हें हम किसी को भी नहीं बता सकते हैं |कुछ तो ऐसी साइटें हैं जिन पर अश्लीलता क़ी भरमार है|गत तीन चार सालों से  नेट पर सर्फिंग करते -करते में ने ये देखा है क़ी दोस्ती के नाम पर लोग अपने नाम के साथ-साथ लिंग तक बदल रखें हैं, इनमे युवकों के अलावा युवतियां भी काम पीछे नहीं है ,या अगर में कहूँ क़ी उनकी संख्या युवकों से कहीं अधिक है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी | देर रात आप किसी भी साईट पर किलिक करें तो देखेंगे कि हरे सिग्नल  क़ी लाइट महिलाओं पर अधिक होगी | वे बातें भी खुल कर करतीं है,उनमे जरा सी भी शर्म व हया नाम क़ी चीज नहीं दिखाई देती है|

1 टिप्पणी:

Satish Saxena ने कहा…

ऐसी मित्रता का कोई अर्थ नहीं है , यहाँ सिर्फ पाठक बन कर रहें तो शायद समय बर्वाद न हो !

'इंग्लैंड-आयरलैंड' और 'अंटाकर्टिका एक अनोखा महादेश'

किताबें-2 श्रीमती माला वर्मा की दो किताबें हाल ही में मिलीं, 'इंग्लैंड-आयरलैंड' और 'अंटाकर्टिका एक अनोखा महादेश' ,दोनों ह...